पागल ही तो हु
उसकी तस्वीर लिए बैठा हु तो पागल ही तो हु,
अब भी उम्मीद लिए बैठा हूँ तो पागल ही तो हु।
उसकी आदत है वो चैन से सो जाती है,
मैं अपनी नींद लिए बैठा हूँ तो पागल ही तो हु।
वो सालो पहले जिस चीज़ पर खुश हुआ करती थी,
मैं वही चीज़ लिए बैठा हूँ तो पागल ही तो हु।
उसकी याद हर एक पल और अकेला मैं,
के इतनी भीड़ लिए बैठा हूँ तो पागल ही तो हु।
प्यार मे क्या असल क्या सूद क्या बहीखाता,
यहाँ रसीद लिए बैठा हूँ तो पागल ही तो हु।।
Ashish Aggarwal (APB)✍️✍️
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